क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला हमेशा हाई-वोल्टेज और भावनाओं से भरा होता है। मैदान पर दोनों देशों के खिलाड़ी एक-दूसरे के खिलाफ कड़ी प्रतिस्पर्धा करते हैं। लेकिन, क्रिकेट इतिहास में कुछ ऐसे दुर्लभ पल भी आए हैं जब इन दोनों देशों के खिलाड़ियों ने एक ही टीम की जर्सी पहनी, एक ही ड्रेसिंग रूम साझा किया और काउंटी क्रिकेट में कंधे से कंधा मिलाकर खेला। ये क्षण न केवल खेल भावना का प्रतीक हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि क्रिकेट सरहदों से परे दोस्ती और भाईचारे का पुल कैसे बना सकता है।
रिकॉर्ड बताते हैं कि अब तक छह से अधिक बार भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने काउंटी क्रिकेट में एक ही टीम के लिए खेला है। यहाँ कुछ प्रमुख और यादगार मौकों का विवरण दिया गया है:
यह शायद भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ियों के एक साथ काउंटी क्रिकेट खेलने का सबसे पहला और प्रतिष्ठित उदाहरण है। महान भारतीय स्पिनर बिशन सिंह बेदी 1972 में नॉर्थम्पटनशायर से जुड़े और 1977 तक इस टीम के लिए खेले। इस दौरान, उन्होंने पाकिस्तानी दिग्गज मुश्ताक मोहम्मद (जो 1970 के दशक से नॉर्थम्पटनशायर के लिए खेल रहे थे) और बाद में सरफराज नवाज के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया। यह वह दौर था जब भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव के कारण द्विपक्षीय क्रिकेट संबंध बंद थे, ऐसे में काउंटी क्रिकेट में उनका एक साथ खेलना एक अनूठा दृश्य था।
21वीं सदी की शुरुआत में भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले, खासकर सरे काउंटी के लिए।
हाल के वर्षों में, 2022 में भारतीय टेस्ट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा और पाकिस्तानी विकेटकीपर-बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान ससेक्स काउंटी के लिए एक साथ खेले। यह साझेदारी क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक और यादगार पल थी, खासकर उनके बीच मैदान पर दिखी दोस्ती और तालमेल ने खूब सुर्खियां बटोरीं। पुजारा, जो काउंटी क्रिकेट के अनुभवी खिलाड़ी हैं, ने रिजवान के साथ मिलकर ससेक्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रदर्शन किए।
सबसे हालिया और चर्चा का विषय बना उदाहरण 2025 में देखने को मिला है। भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ईशान किशन ने नॉटिंघमशायर के लिए काउंटी चैंपियनशिप में डेब्यू किया, जहाँ वह पाकिस्तानी तेज गेंदबाज मोहम्मद अब्बास के साथ खेल रहे हैं। हाल ही में एक मैच में, ईशान ने अब्बास की गेंद पर एक शानदार कैच लेकर विकेट लिया, और दोनों को साथ में जश्न मनाते देखा गया, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं।
यह पल इस बात का प्रमाण है कि मैदान पर प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, खिलाड़ी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और पेशेवर रिश्तों को महत्व देते हैं।
ये उदाहरण दिखाते हैं कि क्रिकेट काउंटी जैसे मंचों पर कैसे देशों के बीच की दूरियों को मिटा सकता है और खिलाड़ियों को एक साथ आकर अपने कौशल को निखारने का अवसर प्रदान कर सकता है।