ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने वनडे इंटरनेशनल (ODI) क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। दो बार की वर्ल्ड कप विजेता ऑस्ट्रेलियाई टीम का अहम हिस्सा रहे मैक्सवेल ने खुद इसकी जानकारी एक पॉडकास्ट के दौरान दी।
मैक्सवेल ने 2015 और 2023 में ऑस्ट्रेलिया को वनडे वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई। खासतौर पर 2023 वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान के खिलाफ खेली गई उनकी नाबाद 201 रन की पारी क्रिकेट इतिहास में सबसे बेहतरीन पारियों में से एक मानी जाती है।
उन्होंने वनडे करियर में कुल 3990 रन बनाए, औसत 33.81 और स्ट्राइक रेट 126.70 का रहा। इसके अलावा उन्होंने गेंदबाज़ी में भी योगदान देते हुए 77 विकेट झटके।
मैक्सवेल ने कहा कि 2022 में पैर टूटने के बाद से उनका शरीर वनडे क्रिकेट की शारीरिक मांग को पूरा नहीं कर पा रहा था। उन्होंने कहा, "मैं महसूस कर रहा था कि मैं टीम को नीचे खींच रहा हूं। मेरे शरीर की हालत उस स्तर पर नहीं थी कि मैं 100% दे सकूं।"
उन्होंने बताया कि उन्होंने चयनकर्ता जॉर्ज बेली से बातचीत की और कहा कि 2027 वर्ल्ड कप की योजना में अब किसी नए खिलाड़ी को मौका दिया जाना चाहिए। "मैं नहीं चाहता था कि सिर्फ अपने नाम या अनुभव के दम पर टीम में जगह बनाए रखूं। यह सही समय है नए खिलाड़ियों को तैयार करने का।"
गौरतलब है कि स्टीव स्मिथ ने भी हाल ही में वनडे क्रिकेट से संन्यास लिया था, जो भारत से चैम्पियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल में हार के बाद आया था।
चयनकर्ता जॉर्ज बेली ने कहा, "ग्लेन का योगदान दो वर्ल्ड कप जीत में अहम रहा है। उनकी फील्डिंग, गेंदबाज़ी और आक्रामक बल्लेबाज़ी उन्हें वनडे क्रिकेट के सबसे रोमांचक खिलाड़ियों में से एक बनाती है।"
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के CEO टॉड ग्रीनबर्ग ने भी उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि अब वह पूरी तरह T20 वर्ल्ड कप 2026 की तैयारी में टीम के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
ग्लेन मैक्सवेल का ODI करियर भले ही अब समाप्त हो गया हो, लेकिन T20 में वह अभी भी टीम का एक मजबूत स्तंभ बने रहेंगे। उनके जैसे बहुआयामी खिलाड़ी का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल के लिए आईपीएल 2024 किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के लिए निराशाजनक प्रदर्शन के चलते टीम ने उन्हें मेगा ऑक्शन से पहले रिलीज कर दिया था।
हालांकि, पंजाब किंग्स ने उन पर भरोसा जताते हुए 4.20 करोड़ रुपये की बोली लगाकर उन्हें अपनी टीम में शामिल किया। यह वही फ्रेंचाइज़ी है, जिसके साथ मैक्सवेल पहले भी खेल चुके हैं। टीम को उम्मीद थी कि उनका अनुभव और आक्रामक खेल टीम को मजबूती देगा, लेकिन यह दांव पूरी तरह उल्टा पड़ गया।
मैक्सवेल इस सीजन में कुछ ही मैच खेल पाए और उनमें भी उनका बल्ला खामोश ही रहा। ना तो वे बड़ी पारियां खेल सके और ना ही मैच में कोई खास असर छोड़ पाए। इससे पहले कि वे फॉर्म में लौटने की कोशिश करते, चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गए।