आईपीएल 2025 में इस्तेमाल किए गए एक एआई रोबोट डॉग का नाम ‘चंपक’ रखे जाने पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) कानूनी पचड़े में फंस गया है। प्रसिद्ध बाल पत्रिका चंपक के प्रकाशकों ने इस नाम को लेकर आपत्ति जताई है, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
‘चंपक’ पत्रिका का प्रकाशन 1968 से दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। उनके वकील अमित गुप्ता ने अदालत में दलील दी कि बीसीसीआई द्वारा रोबोट डॉग का नाम 'चंपक' रखना न केवल ट्रेडमार्क का उल्लंघन है, बल्कि एक स्थापित ब्रांड के व्यावसायिक इस्तेमाल का भी मामला है। उन्होंने कहा कि आईपीएल एक व्यावसायिक मंच है, जहां इस तरह के नामों का उपयोग प्रचार और मुनाफे के लिए किया जाता है।
बीसीसीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जे साई दीपक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ‘चंपक’ केवल एक पत्रिका ही नहीं, बल्कि यह एक फूल का नाम भी है। उन्होंने तर्क दिया कि रोबोट डॉग को लोग बाल पत्रिका से नहीं, बल्कि एक लोकप्रिय टीवी पात्र से जोड़ रहे हैं। उनका कहना था कि पत्रिका का ट्रेडमार्क इस तरह की रचनात्मक अभिव्यक्तियों पर रोक नहीं लगा सकता।
सुनवाई के दौरान जज सौरभ बनर्जी ने कहा कि ‘चंपक’ एक पुराना और प्रचलित ब्रांड है, इसलिए इस पर विचार करना जरूरी है। उन्होंने यह भी पूछा कि जब क्रिकेटर विराट कोहली का उपनाम ‘चीकू’ भी चंपक पत्रिका के एक पात्र से मेल खाता है, तब पत्रिका ने उस पर आपत्ति क्यों नहीं जताई? इस पर प्रकाशक के वकील ने जवाब दिया कि आईपीएल में नाम का इस्तेमाल वाणिज्यिक लाभ के लिए किया गया है, जबकि कोहली के मामले में ऐसा नहीं है।
अब अदालत ने बीसीसीआई को 4 सप्ताह के भीतर अपना लिखित जवाब देने को कहा है और इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को तय की गई है।
यह मामला न सिर्फ ट्रेडमार्क अधिकारों की सीमा को परिभाषित करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि रचनात्मक नामों का इस्तेमाल व्यावसायिक मंचों पर किस हद तक किया जा सकता है। फिलहाल सबकी नजरें 9 जुलाई की सुनवाई पर टिकी हैं।