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Last updated on 05 Apr 2025 | 11:59 AM
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क्या आप जानते हैं 'रिटायर्ड आउट' का मतलब? आसान शब्दों में समझें 'रिटायर्ड हर्ट' से ये कितना है अलग

लखनऊ के खिलाफ हुए मैच में मुंबई इंडियंस के खिलाड़ी तिलक वर्मा अचानक रिटायर्ड आउट हो गए थे।

क्रिकेट में कई तरह के नियम होते हैं जो खेल को दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। दो ऐसे नियम जो अक्सर भ्रमित कर सकते हैं, वे हैं "रिटायर्ड आउट" और "रिटायर्ड हर्ट"। इन दोनों के बीच अंतर को समझना जरूरी है, क्योंकि इनका प्रयोग मैच की स्थिति और खिलाड़ी की स्थिति के आधार पर किया जाता है। हाल ही में मुंबई इंडियंस के खिलाड़ी तिलक वर्मा के रिटायर्ड आउट होने के बाद इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई है। आइए जानते हैं इन दोनों के बीच क्या अंतर है और ये कब और क्यों लागू होते हैं।


रिटायर्ड आउट क्या होता है?


क्रिकेट में "रिटायर्ड आउट" तब होता है जब बल्लेबाज अपनी मर्जी से मैदान छोड़ देता है और फिर वापस बल्लेबाजी करने नहीं आता। यह निर्णय आमतौर पर तब लिया जाता है जब टीम को किसी खास स्थिति में जल्दी रन बनाने की जरूरत होती है और बल्लेबाज उस स्थिति को पूरा करने में असमर्थ होता है। उदाहरण के लिए, तिलक वर्मा के मामले में, उन्हें इस वजह से रिटायर्ड आउट किया गया क्योंकि वे तेजी से रन बनाने में परेशानी महसूस कर रहे थे और टीम को उनके स्थान पर किसी अन्य खिलाड़ी से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। 


रिटायर्ड आउट होने के बाद, अगर बल्लेबाज फिर से मैदान पर नहीं आता, तो उसे रिकॉर्ड में "आउट" माना जाता है। इसका मतलब यह होता है कि वह बल्लेबाजी की अपनी पारी को फिर से शुरू नहीं कर सकता जब तक विपक्षी कप्तान उसे अनुमति न दे। यह नियम क्रिकेट के आईसीसी नियमों के तहत है और इस स्थिति को आमतौर पर टी20 मैचों में देखा जाता है।


रिटायर्ड हर्ट क्या होता है?


"रिटायर्ड हर्ट" एक अलग स्थिति होती है, जब बल्लेबाज चोट के कारण मैदान छोड़ता है। अगर किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान चोट लग जाती है, तो वह "रिटायर्ड हर्ट" होकर मैदान से बाहर जा सकता है। इस स्थिति में, खिलाड़ी को चोट या बीमारी के कारण खेल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। हालांकि, रिटायर्ड हर्ट होने के बाद, अगर खिलाड़ी ठीक हो जाता है, तो वह वापस मैदान पर आ सकता है और अपनी पारी को फिर से शुरू कर सकता है। 


रिटायर्ड हर्ट का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई बल्लेबाज घायल हो जाता है या उसे चिकित्सा की जरूरत होती है। हालांकि, यह कोई रणनीतिक निर्णय नहीं होता, बल्कि एक मजबूरी होती है। यदि बल्लेबाज वापस बल्लेबाजी के लिए नहीं आता, तो उसे "रिटायर्ड नॉट आउट" के रूप में दर्ज किया जाता है। इसका मतलब है कि उसे आउट नहीं माना जाता, क्योंकि उसने खुद से खेल छोड़ने का निर्णय नहीं लिया था, बल्कि उसकी हालत के कारण ऐसा हुआ।


दोनों के बीच के अंतर को समझे 


1. रिटायर्ड आउट: यह एक रणनीतिक निर्णय होता है, जब बल्लेबाज अपनी पारी खत्म करने का निर्णय खुद करता है, ताकि टीम को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिले। इस स्थिति में, बल्लेबाज को "आउट" माना जाता है, यदि वह फिर से बल्लेबाजी के लिए नहीं आता।

   

2. रिटायर्ड हर्ट: यह तब होता है जब बल्लेबाज चोट के कारण या किसी अप्रत्याशित स्थिति के कारण मैदान छोड़ता है। यदि खिलाड़ी ठीक हो जाता है, तो वह वापस बल्लेबाजी करने आ सकता है, और उसे "नॉट आउट" माना जाता है यदि वह फिर से बल्लेबाजी के लिए नहीं आता।


तिलक वर्मा का रिटायर्ड आउट होना क्रिकेट के नियमों का एक उदाहरण है, जहां टीम ने रणनीति के तहत इस फैसले को लिया। जबकि रिटायर्ड हर्ट एक ऐसी स्थिति है जहां खिलाड़ी की शारीरिक स्थिति के कारण उसे मैदान छोड़ना पड़ता है। इन दोनों नियमों को समझकर हम क्रिकेट के विभिन्न पहलुओं को और बेहतर तरीके से जान सकते हैं।

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