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Last updated on 16 Oct 2025 | 02:42 PM
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Ranji Trophy 2025: Who is Ayush Loharuka? रणजी में बिहार के लाल का धमाका, जिसने ठोकी डबल सेंचुरी

आयुष ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ मैच में 226 रनों की शानदार पारी खेलकर न सिर्फ अपना प्रथम श्रेणी दोहरा शतक लगाया बल्कि टीम को भी 542 रनों के विशाल स्कोर तक पहुंचाया।

Who is Ayush Loharuka? Bihar's Young Star Smashes Double Century in Ranji Trophy 2025-26: रणजी ट्रॉफी 2025-26 में बिहार के लाल आयुष लोहारुका (Ayush Loharuka) शानदार ने अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बटोर ली है। आयुष ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ मैच में 226 रनों की शानदार पारी खेलकर न सिर्फ अपना प्रथम श्रेणी दोहरा शतक लगाया बल्कि टीम को भी 542 रनों के विशाल स्कोर तक पहुंचाया। 



मैच में बिहार ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया और अरुणाचल प्रदेश को पहली पारी में महज 105 रनों पर ढेर कर दिया। तेज गेंदबाज सकीब हुसैन ने 6 विकेट चटकाकर विपक्षी टीम की कमर तोड़ दी। 

जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी बिहार की टीम के लिए नवनियुक्त 14 वर्षीय उप-कप्तान वैभव सूर्यवंशी (vaibahv Suryavanshi) ने ताबड़तो शुरुआत दी, हालांकि, वह 5 गेंदों में 14 रन बनाकर जल्दी आउट हो गए।उनके अलावा अर्णव किशोर ने 52 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

इसके बाद आयुष लोहारुका ने कप्तान शाकिब गनी (56) के साथ मिलकर मोर्चा संभाला। आयुष ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक 155 रन बना लिए थे। दूसरे दिन भी अपनी शानदार लय को बरकरार रखते हुए उन्होंने इस दोहरे शतक में तब्दिल कर दिया। अपनी 226 रनों की पारी में उन्होंने 247 गेंदों का सामना किया और 37 चौके व एक छक्का लगाया।  22 वर्षीय आयुष ने रणजी ट्रॉफी के पछले सीजन में 5 पांच मैचों में 315 रन बनाए थे, जहां उनका सर्वोच्च स्कोर 101 रन था। 


कौन हैं आयुष लोहारुका? (Who is Ayush Loharuka)


बिहार के दरभंगा से निकले युवा बल्लेबाज़ आयुष लोहारुका का जिवन संघर्षों से भरा रहा है। जून 2003 को जन्मे आयुष ने कम उम्र में ही अपनी माँ और भाई को खो दिया, लेकिन इन मुश्किलों के बावजूद उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर अपनी हिम्मत नहीं हारी।

इस सफ़र में उनके पिता उनके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत और ताक़त बने। क्रिकेट के बड़े प्रशंसक होने के नाते, उनके पिता का सपना है कि आयुष एक दिन देश के लिए खेलें। वह अक्सर आयुष से कहते हैं, "तुम बस अपने खेल पर ध्यान दो, बाकी सब मैं देख लूँगा," और यही विश्वास आयुष को मैदान पर निडर होकर खेलने की ताक़त देता है। आयुष की यह सफलता बिहार के अन्य युवा क्रिकेटरों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।

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