वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का फाइनल टेस्ट क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक बड़ा आयोजन होता है, जिसमें शीर्ष दो टीमें खिताब के लिए भिड़ती हैं। इस बार, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच WTC 2025 का फाइनल आज से शुरू हो रहा है, और कई भारतीय प्रशंसकों के मन में यह सवाल है कि उनकी पसंदीदा टीम इंडिया इस बड़े मुकाबले से क्यों बाहर हो गई। इसका मुख्य कारण प्वाइंट सिस्टम और भारतीय टीम के कुछ महत्वपूर्ण मैचों में प्रदर्शन है।
प्वाइंट सिस्टम का महत्व
WTC फाइनल के लिए टीमों का चयन कुल अंकों के बजाय 'प्वाइंट्स प्रतिशत' (PCT) के आधार पर होता है। इसका मतलब यह है कि किसी टीम ने कुल कितने अंक हासिल किए हैं, उससे ज़्यादा यह मायने रखता है कि उसने उपलब्ध कुल अंकों का कितना प्रतिशत हासिल किया है। उदाहरण के लिए, एक टीम जिसने कम मैच खेले हों लेकिन उनमें से ज़्यादा जीते हों, उसका PCT उस टीम से बेहतर हो सकता है जिसने ज़्यादा मैच खेले हों और कुल अंक ज़्यादा हों, लेकिन जीत का प्रतिशत कम हो।
WTC 2023-25 साइकल में, भारतीय टीम ने 19 टेस्ट खेले और उनमें से 9 जीते, जिससे उनका PCT 50.00% रहा। दूसरी ओर, दक्षिण अफ्रीका ने इस साइकल में केवल 12 टेस्ट खेले और उनमें से 8 जीते, जिसके परिणामस्वरूप उनका PCT 69.44% रहा। ऑस्ट्रेलिया ने 19 टेस्ट में से 13 जीते और उनका PCT 67.54% रहा।
साफ है कि दक्षिण अफ्रीका ने कम मैच खेलने के बावजूद, अपने जीते हुए मैचों का प्रतिशत भारत से काफी बेहतर रखा। खासकर, दक्षिण अफ्रीका ने लगातार 7 टेस्ट मैच जीतकर प्वाइंट्स टेबल में शीर्ष स्थान हासिल किया। जबकि भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में हार का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी WTC फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा।
WTC के नियमों के अनुसार, धीमी ओवर गति के लिए भी टीमों के अंक काटे जाते हैं। यह भी एक कारण हो सकता है जिससे टीमों के PCT पर असर पड़ता है।
संक्षेप में, भारतीय टीम कुल अंकों के मामले में दक्षिण अफ्रीका से आगे होने के बावजूद, 'प्वाइंट्स प्रतिशत' के कारण फाइनल में जगह नहीं बना पाई। दक्षिण अफ्रीका ने अपने कम मैचों में लगातार शानदार प्रदर्शन किया, जिससे उनका जीत का प्रतिशत भारत से काफी बेहतर रहा और वे WTC 2025 के फाइनल में पहुंचने में सफल रहे।