भारत के गेंदबाज़ी कोच और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ मोर्ने मोर्कल ने इंग्लैंड के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज को लेकर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने माना कि भारत के खिलाड़ियों को हाल ही में लाल गेंद से खेलने का ज्यादा अभ्यास नहीं मिला है, जिसकी वजह से वो थोड़े "नर्वस" थे। हालांकि, तीन दिनों की ट्रेनिंग के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 20 जून से लीड्स में शुरू होगी। यह सीरीज भारत की नई वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप साइकिल की शुरुआत भी है, और टीम की कमान इस बार युवा बल्लेबाज़ शुभमन गिल के हाथों में है।
मोर्कल ने टीम के अभ्यास सत्रों को लेकर संतोष जताया और कहा, "टीम में शानदार ऊर्जा है, और यही टेस्ट सीरीज से पहले सबसे ज़रूरी होता है। जब आपके पास आत्मविश्वास और टीम भावना होती है, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।"
उन्होंने इंग्लैंड की परिस्थितियों में निरंतरता को सबसे अहम बताया। "यहाँ निरंतरता बहुत ज़रूरी है — चाहे वह अभ्यास हो या मैदान के बाहर की तैयारी। हर खिलाड़ी को अपने लिए सही प्रक्रिया ढूंढ़नी होगी जो उसके लिए कारगर हो।"
भारत की गेंदबाज़ी इकाई की तारीफ करते हुए मोर्कल ने कहा कि टीम के पास अलग-अलग कौशल वाले गेंदबाज़ हैं, जो किसी भी परिस्थिति में प्रभावी हो सकते हैं।
"हमारे पास गेंदबाज़ी में अच्छी विविधता है — सभी का अपना तरीका है, और वो बेसिक्स को भी अच्छी तरह लागू कर पा रहे हैं।"
टीम इंडिया ने इंग्लैंड दौरे पर अब तक दो दिन का अभ्यास किया है। मोर्कल ने बताया कि शुरुआती दिनों में तेज़ गेंदबाज़ों को ज्यादा मदद मिली है।
"अभ्यास में गेंदबाज़ों को अच्छी मदद मिली है। बल्लेबाज़ों के लिए यह चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन यही उन्हें असली टेस्ट की तैयारी में मदद देगा।"
उन्होंने आगे कहा कि भले ही मैच की पिचें इतनी चुनौतीपूर्ण न हों, लेकिन खिलाड़ियों को हर परिस्थिति में डटे रहना सीखना होगा।
"मैं गेंदबाज़ों से कहूंगा कि जब विकेट फ्लैट हो जाएं, तब भी उतना ही जुनून दिखाएं जितना तब दिखाते हैं जब गेंद स्विंग कर रही हो।"
भारत अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए 13 जून से इंडिया ए के खिलाफ एक चार दिवसीय अभ्यास मैच खेलेगा। इस मैच से खिलाड़ियों को मैच जैसी परिस्थितियों में खुद को परखने का मौका मिलेगा, खासतौर पर उन युवा खिलाड़ियों के लिए जो पहली बार इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट खेलने जा रहे हैं, जैसे यशस्वी जायसवाल और साई सुदर्शन।