भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गज – विराट कोहली और रवि शास्त्री – का रिश्ता मैदान के बाहर भी उतना ही खास रहा है जितना मैदान पर था। टेस्ट क्रिकेट से विराट कोहली के अचानक संन्यास की घोषणा ने फैंस को चौंका दिया था, लेकिन रवि शास्त्री के लिए यह फैसला उतना हैरान करने वाला नहीं था।
रवि शास्त्री ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने कोहली के टेस्ट क्रिकेट छोड़ने से पहले उनसे इस बारे में बातचीत की थी। शास्त्री के मुताबिक, कोहली का मन पूरी तरह से स्पष्ट था और उन्होंने अपने करियर को लेकर कोई पछतावा नहीं जताया।
शास्त्री ने कहा, "उसके मन में कोई संशय नहीं था। उसने सब कुछ दे दिया था। जब किसी खिलाड़ी का दिमाग शरीर से कहे कि अब वक्त हो गया है, तो वह संकेत नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"
शास्त्री और कोहली की जोड़ी ने भारतीय टेस्ट क्रिकेट में 40 में से 28 मुकाबले जीते थे। यह अब तक की सबसे सफल कप्तान-कोच जोड़ी बन गई थी। कोहली की मैदान पर ऊर्जा, जुनून और 100% समर्पण के बारे में बात करते हुए शास्त्री ने कहा कि इतना ज्यादा इनवॉल्वमेंट कभी-कभी बर्नआउट की वजह बन सकता है।
“वह हर गेंद पर खुद को शामिल समझता था — विकेट लेना, कैच पकड़ना, फील्डिंग सजाना — सब कुछ जैसे वही करे। जब आप इतने जोश में खेलते हैं, तो एक समय ऐसा आता है जब शरीर और दिमाग को आराम चाहिए होता है।”
शास्त्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोहली ने अपने करियर में सब कुछ हासिल कर लिया है – कप्तानी, वर्ल्ड कप जीत, अंडर-19 विश्व कप और एक शानदार रिकॉर्ड। इसलिए अब उन्हें कोई पछतावा नहीं होना चाहिए।
“अक्सर खिलाड़ी संन्यास के बाद सोचते हैं – काश मैं ये कर लेता। लेकिन विराट के लिए ऐसा कुछ नहीं बचा था। उसने सब कर दिखाया।”
कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास निश्चित रूप से एक युग का अंत है। लेकिन रवि शास्त्री की इन बातों से साफ है कि यह फैसला एक सोच-समझकर लिया गया कदम था, न कि कोई अचानक किया गया ऐलान। कोहली ने जो जुनून और प्रदर्शन भारतीय टीम को दिया, वह हमेशा याद रखा जाएगा।