इंग्लैंड के दिग्गज बल्लेबाज़ जो रूट को टेस्ट क्रिकेट का सबसे महान खिलाड़ी माना जाता है। उन्होंने अब तक 158 टेस्ट मैचों में 13,543 रन बनाए हैं और उनका औसत 51.29 का है। रूट महज़ 2,378 रन दूर हैं सचिन तेंदुलकर से, जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन (15,921) दर्ज हैं।
हाल ही में भारत के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ में रूट का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। उन्होंने 537 रन बनाए, औसत रहा 67.13 का। इस दौरान उनके बल्ले से तीन शतक निकले और उनका कुल शतक का आंकड़ा अब 39 पर पहुँच गया है। यह रिकॉर्ड उन्हें तेंदुलकर (51), जैक कैलिस (45) और रिकी पोंटिंग (41) के बाद चौथे स्थान पर रखता है।
लेकिन रूट का ऑस्ट्रेलिया में रिकॉर्ड उनकी प्रतिष्ठा के मुकाबले फीका रहा है। उन्होंने वहां 14 टेस्ट खेले हैं और 892 रन बनाए हैं, औसत रहा सिर्फ 35.68 का। खास बात यह है कि अब तक उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर एक भी शतक नहीं जड़ा है, जबकि उन्होंने नौ बार अर्धशतक ज़रूर बनाया है। यही कारण है कि आगामी एशेज़ सीरीज़, जो 21 नवंबर से ऑस्ट्रेलिया में खेली जाएगी, उनके करियर के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
पूर्व इंग्लिश स्पिनर मोंटी पनेसर का मानना है कि अगर रूट इस बार भी ऑस्ट्रेलिया में नाकाम रहते हैं, तो उनके लिए टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दबाव बढ़ सकता है। पनेसर ने इंडिया टुडे से कहा, “यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि अगली एशेज़ सीरीज़ में उनका प्रदर्शन कैसा रहता है। हमने देखा कि विराट कोहली को भी ऑस्ट्रेलिया में संघर्ष करना पड़ा और वही उनके संन्यास की बड़ी वजह बनी। अगर रूट भी बुरी तरह असफल होते हैं, तो उन पर भी सवाल उठेंगे कि क्या वे अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ अवस्था पार कर चुके हैं।”
पनेसर ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया में खेलना किसी भी बल्लेबाज़ के लिए बड़ी चुनौती होती है। वहां की पिचें उछाल और तेज़ी से भरी होती हैं, और मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ी आक्रमण को हाल के समय का सबसे दमदार माना जा रहा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि रूट को एडिलेड या मेलबर्न जैसी पिचों पर मौका मिल सकता है, जहां हालात बल्लेबाज़ी के लिए कुछ हद तक आसान हो सकते हैं।
गौरतलब है कि इंग्लैंड ने पिछले 15 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट सीरीज़ नहीं जीती है। ऐसे में यह एशेज़ न सिर्फ इंग्लैंड की प्रतिष्ठा के लिए अहम होगी, बल्कि जो रूट के करियर और उनकी विरासत को भी परिभाषित करने वाला दौर साबित हो सकता है।